वर्तमान समय में खेती में किये गए रासायनिक उर्वरकों एवं रसायनों के असंतुलित प्रयोग से खेती से अपेक्षित
लाभ नहीं मिल रहा है और किसानों की लागत बढ़ती जा रही है। इसलिए देश माननीय प्रधानमंत्री के मार्गनिर्देशन में
प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर हो रहा है। किसान प्राकृतिक खेती अपना कर खेती की लागत कम कर सकते हैं। प्राकृ
तिक खेती है किसानों के लिए वरदान हैं । यह बात आज केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री, कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय, श्री
कैलाश चौधरी जी ने सरसों अनुसंधान निदेशालय में बीज पखवाड़ा एवं अनुसूचित जाति कृषक संवाद कार्यक्रम का
उदघाटन करते हुये किसानों से कही। उन्होंने प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभों को बताते हुये जीवामृत,
बीजामृत तथा घनजीवामृत बनाने की विधियों के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। श्री कैलाश चौधरी जी ने सरसों
अनुसंधान निदेशालय के द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि संस्थान के वैज्ञानिको द्वारा
विकसित सरसों की उन्नत किस्में किसाानों के बीच लोकप्रिय हो रही है और उनके उत्पादन में बढोतरी हो रही है।
उन्होंने कहा कि आज हम देश के किसानों एवं वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत के कारण खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हैं
किन्तु खाद्य तेलों लिए अभी भी हमें दूसरे देशों से खाद्य तेल आयात करना पड़ता है। देष को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर
बनाने के लिए वैज्ञानिको द्वारा विकसित उन्नत किस्मों और तकनीको को किसानों द्वारा किसानों द्वारा अपनाना होगा।
इसके साथ-साथ उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न कृषि कल्याण योजनाओं के बारे में भी किसानों को
विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य नही मिलता है इसलिए भारत सरकार
द्वारा किसान उत्पादक संगठनों के गठन के लिए किसानों को प्रेरित कर रही और सहयता प्रदान कर रही है। उन्होनें
किसानों से आग्रह किया कि वो मिलकर अपने-अपने क्षेत्रों में ’किसान उत्पादक संगठनों’ (एफपीओ) को बनाये जिससे
वे अपने फसल उत्पादों में मूल्य संवर्धन करके अधिक लाभ कमा सकते हैं। उन्होंने कृषि में महिला किसानों के योगदान
को रेखांकित करते हुए महिला किसानों की भी प्रशंसा की।
इस कार्यक्रम में भरतपुर की सांसद माननीय श्रीमती रंजीता कोली जी ने भी किसानों से संवाद करते हुए देश
की खाद्य सुरक्षा में उनके योगदान के लिए उनका धन्यवाद किया। उन्होंने भी संस्थान द्वारा किये जा रहे अनुसंधान
कार्यों की सराहना करते हुए किसानों से सरसों उत्पादन की नवीन तकनीकों को अपनाने का आग्रह किया।
इस अवसर पर निदेषालय के निदेशक डॉ. पी.के. राय ने माननीय मंत्री जी एवं सासंद महोदया का स्वगात
करते हुए संस्थान द्वारा किये गए अनुसंधान कार्यों एवं वैज्ञानिक गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। डॉ. राय ने बताया
कि विगत वर्षों में निदेशालय द्वारा विकसित कई उन्नत किस्में जैसे गिरिराज, डीआरएमआर
1165-40, डीआरएमआर 150-35, राधिका एवं ब्रजराज किसानांे बीच में बहुत लोकप्रिय हो रही है। उन्होने बताया कि
निदेशालय द्वारा सरसों किसानों के हितो के लिए मेरा गॉव मेरा गौरव, प्रथम पक्ति प्रर्दषनो ं का आयोजन, रेडियों कृषि शिक्षा कार्यक्रम, कृषक -वैज्ञानिक संवाद, किसान गोश्ठी, मेला आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होने यह
जानकारी दी कि निदेषालय द्वारा उत्तर-पूर्वी राज्यों मे भी सरसों की खेती को बढावा देने के लिए भी विषेश प्रयास
किये जा रहे है।
इस कार्यक्रम में अनुसूचित उपजाति कार्यक्रम के तहत भरतपुर के किसानों एवं किसान महिलाओं को श्री कैलाष
चौधरी एवं श्रीमति रंजिता कोली द्वारा सरसों की उन्नत किस्मों का बीज के साथ-साथ एक कम्बल, बैग और कृषि
सम्बन्धी पठन सामग्री भी वितरित की गयी। इस कार्यक्रम में करीब 350 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम का सम्पूर्ण
संचालन प्रधान वैज्ञानिक डॉ पंकज शर्मा ने किया।
Date:2022-09-16 to 2022-09-16 |